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लेखनी कहानी -08-Jul-2022 यक्ष प्रश्न 1

राम भरोसे 


आज सुबह जब हम दूध लेने जा रहे थे तो रास्ते में रामभरोसे लाल जी मिल गए । हमने राम राम की तो वे भड़क गए । हमने कहा "राम राम करके हमसे कोई गलती हो गई है क्या" ? हमने थोड़ा नाराज होते हुए कहा ।


"नहीं जी नहीं । हम आपके राम राम करने से थोड़े ही भड़के हैं । हम तो कुछ और कारणों से भड़के हुए हैं" । उन्होंने ऐसा कहकर हमारी धड़कनें बढा दी थी ।


हमने सोचा कि लॉकडाउन काल में आदमी अपनी बीवी से भड़कने की तो रिस्क ले नहीं सकता है । क्योंकि उसे पता है कि अगर वो भड़क गई तो उसको सिर्फ जल ग्रहण कर ही व्रत खोलना होगा । हां , बच्चों पर भड़कने का जोखिम ले सकते हैं वे । बच्चे जब दिन भर घर में रहेंगे तो कुछ उछल कूद तो करेंगे ही । कुछ तोड़ा फोड़ी नहीं करेंगे तो फिर वे बच्चे कैसे कहलाएंगे ? हमें लगा कि एक यही कारण होगा उनके भड़कने का । इसलिए हमने सीधा ही पूछ लिया


"बच्चों ने कुछ ज्यादा ही तोड़ फोड़ कर डाली है क्या" ? 


"अरे नहीं भाईसाहब । ऐसी कोई बात नहीं है । बच्चे तो तोड़ फोड़ करेंगे ही । हम उस पर गुस्सा नहीं हो रहे । हम तो इस बात पर भड़क रहे हैं कि हमारा नाम बट्टे खाते किया जा रहा है " वे झल्लाकर बोले । 


हमने कहा " किसकी इतनी मजाल जो है आपके नाम को बट्टे खाते में डाले ? कौन है वो गुस्ताख आदमी ? क्या बात हो गई कुछ खुलकर बताइए ना " ? हमने उन्हें कुरेदा


"अरे भाईसाहब । आपको तो पता ही है कि हम पैदा ही राम के भरोसे हुए हैं । बहुत दिनों तक जब हमारी अम्मा के कोई बच्चा नहीं हुआ तब किसी सयानी औरत ने उन्हें सलाह दी कि वे राम मंदिर में जाकर रोज एक दीपक जलाएं ।  हमारी अम्मा थोड़े लालच में आ गई और उन्होंने एक नहीं दो दो दीपक जला दिए रोज । सयानी औरत की बात सच होनी ही थी तो हम दो भाई एक साथ ही इस जहां में अवतरित हो गए । पहले हम हुए तो हमारी अम्मा ने कहा कि ये तो राम के भरोसे ही हुआ है इसलिए हमारा नाम राम भरोसे रख दिया । वो छोटा वाला था वो दो दीपक जलाने से राम जी की एक्सट्रा मेहरबानी का परिणाम था इसलिए उसका नाम राम मेहर रख दिया" । वे अतीत की दुनिया में खो गए।


"अच्छा ये बात है । पर ये बताओ कि आपके नाम को बट्टा कौन लगा रहा है और क्यों लगा रहा है " ? 


"अरे क्या बताएं भाईसाहब ! अभी थोड़े दिन पहले एक उच्च न्यायालय ने एक सरकार के एक विभाग के बारे में टिप्पणी कर दी कि वह रामभरोसे चल रहा है । अब आप ही बताइए कि राम भरोसे तो हम हैं । हमारे रहते और कोई रामभरोसे कैसे चल सकता हैं  ? और अगर कोई चलने की कोशिश करेगा तो हम उसे चलने नहीं देंगे" । उनके मुंह से थूक निकलने लगा ।


मुझे यह सुनकर बड़ी तेज हंसी आ गई । मैंने कहा "अरे रामभरोसे जी , आप भी जजों की टिप्पणियों को गंभीरता से ले लेते हो ? अच्छा एक बात बताइए । अगर इतनी ही गंभीर टिप्पणी थी तो उसे फैसले में क्यों नहीं लिखते हैं ये जज लोग ? एक उच्च न्यायालय के जज कहते हैं कि चुनाव आयोग के अधिकारियों पर क्यों नहीं हत्या का मुकदमा चलाया जाए ? अरे भई चलाओ ना , कौन भना कर,रहा है ? पर नहीं । केवल मौखिक टिप्पणी करेंगे, लिखित नहीं ।  पता है क्यों " ? 


"क्यों' 


इसलिए कि आजकल ज्यादातर मी लॉर्ड्स चर्चा में रहना  चाहते हैं । सरकार बेचारी उस गरीब की जोरू की तरह हो गई हैं जिसे हर कोई भाभी बोल जाता है । मी लॉर्ड्स भी हमेशा सरकार पर ही सवारी करते नजर आते हैं ।  एक बात तो  बताइए । इन जजों को जज कौन बनाता है ? 


"ये खुद ही जज बनाते हैं और कौन बनाता है " ?


"ये क्या जनता के प्रति जिम्मेदार हैं " ? 


"नहीं , बिल्कुल नहीं " 


"क्या इनके विरुद्ध भ्रष्टाचार की या इनके ग़लत फैसलों के लिए कोई कार्रवाई होती है " ? 


"नहीं , बिल्कुल नहीं । ऐसी कार्रवाई ये खुद ही करते हैं" ।


"इसका मतलब साफ है कि ये कुछ भी कह दें , कुछ भी फैसला कर दें , इनका कुछ नहीं बिगड़ेगा । और यहां तक कि अगर इनके गलत फैसलों पर कोई टिप्पणी भी कर दे तो ये स्वत: संज्ञान लेकर मानहानि का केस कर सीधा जेल भेज देंगे" ?


"हां , यही बात है भाई साहब " । 

"अभी एक उच्च न्यायालय ने एक सरकार को आदेश दिया कि हर गांव में दो दो एम्बुलैंस आई सी यू की व्यवस्था के साथ तैयार कर के रखें । जैसे एक लाख गांवों के लिए यह व्यवस्था अलादीन के जादुई चिराग की तरह हो जाएगी । उसी जज ने तो वह रामभरोसे वाली टिप्पणी की थी ना " 

"हां , भाईसाहब । आप सही कह रहे हैं । उसी जज ने हमारे नाम पर बट्टा लगाया है" । और रामभरोसे लाल जी सुबकने लगे । 


हमने उन्हें ढांढस बंधाया और कहा "जिस न्यायालय में रामजन्म भूमि का मामला सत्तर साल से अधिक चला हो । यानी सत्तर साल में वे एक फैसला नहीं कर पाए । जहां लाखों केस आलमारी की धूल दसियों साल से चाट रहे हों । हत्यारे , बलात्कारी छूट रहे हों । फुटपाथ पर गाड़ी चढ़ाकर सोते लोगों को मारने वाले की पहचान दस साल में भी नहीं कर पाते हों । एक दुर्दांत पाकिस्तानी आतंकवादी याकूब मेमन जिसने सैकड़ों निर्दोष लोग मौत के घाट उतार दिए हों , उसका फैसला करने में कम से कम सात साल लगा देता हो । उस आतंकवादी की सात साल तक सुरक्षा करने में कितने करोड़ रुपए खर्च हुए होंगे ? ऐसे अनगिनत मामले हैं जिनमें बीस बीस साल तक फैसले नहीं होते हैं । और ये जज चाहते हैं कि इस कोरोना रूपी महामारी में अलादीन के चिराग की तरह पलक झपकते ही सारी व्यवस्थाएं सरकार कर दें । जो कभी ए सी से बाहर नहीं निकलते हों । कोर्ट में ए सी । गाड़ी में ए सी और घर में ए सी । जिन्हें हमेशा अखबारों की सुर्खियां बनने का शौक हो उनसे तुम क्या उम्मीद करोगे ?  उन जजों से जो प्रशांत भूषण के सामने माफी मांगने की रिक्वेस्ट कर रहे हों और वह दादागिरी करके कहता हो कि नहीं मांगता माफी , कर लो कुछ भी अगर कर सकते हो तो । तब यही लोग उस पर केवल एक रुपए का दंड लगा कर छोड़ देते हैं । ऐसे वकीलों से तो ये घबराते हैं और सरकार को तो ये जज काट खाने को दौड़ते हैं हमेशा । तो ऐसे लोगों से आप क्या उम्मीद करते हैं " ? 


रामभरोसे लाल जी की आंखें खुल गईं। वे बोले भाईसाहब , आपने तो मुझे बचा लिया वरना मैं तो घुट घुट कर ही मर जाता । 


मैंने कहा , इस देश में सब कुछ रामभरोसे ही चल रहा है । स्वयं सरकार, न्यायालय और जनता । मगर सब लोग यह गुमां पाले बैठे हैं कि सब कुछ उन्हीं की बदौलत चल रहा है । कितने अज्ञानी लोग हैं ये । खुद को भगवान समझ बैठे हैं ।मगर आप चिंता मत करो । दुनिया रामभरोसे चलती रही है और रामभरोसे ही चलती रहेगी । इसलिए , आप तो स्वस्थ रहो और मस्त रहो । 




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9 Comments

दशला माथुर

20-Sep-2022 11:23 AM

Bahut khub

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shweta soni

19-Sep-2022 11:45 PM

बहुत खूब 👌

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shweta soni

19-Sep-2022 11:41 PM

बहुत सुंदर रचना 👌

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